Wednesday, March 16, 2011

शादी के नाम पर कमसीन युवतियो की खरीदी बिक्री

शादी के नाम पर कमसीन युवतियो की खरीदी बिक्री
                         आलेख - रामकिशोर पंवार
उस दिन अनिता कुछ परेशान थी. पुछने पर भी उसने कुछ नहीं बताया . उसकी खास सहेली ने भी उससे कुछ पुछने की कोशिश की लेकिन वह सफल नहीं हो सकी. गांव का रामदीन काका जब हैरान- परेशान अनिता के पास आया तो वह उसे देख कर रो पड़ी. पुछने पर उसे पता चलाकि आखिर माजऱा क्या है . पिछले कई दिनो से उसके गांव से उसे बाहर काम दिलवाने के नाम पर कुछ लोग उसका शारीरिक शोषण कर रहे थे लेकिन उसने अभी तक बदनामी के डर से किसी को कुछ नहीं बताया  लेकिन जब जब बर्दास्त के बाहर की बात आ गई  तो फिर उसने अपना मुँह आखिर एक दिन खोल कर उन लोगो को बेनकाब कर ही डाला जो कि भेली - भाली युवतियो को काम के बहाने बाहर ले जाकर बेच दिया करते थे या फिर उनका शारीरिक , मानसिक , आर्थिक शोषण करते थे . बरसो से बैतूल जिले की सैकड़ो आदिवासी तथा गैर आदिवासी युवतियाँ ठेकेदारों के पास काम करने के लिए जाती है. अकसर सुनने को मिलता रहता है कि ऐसी कई युवतियों का ठेकेदार और उसके सुपरवाइजर शारीरिक , आर्थिक , मानसिक शोषण करते रहते है. बैतूल जिले मे ऐसी घटनाए आम होती चली जा रही है. हाल ही में बैतूल जिले की दो विधानसभा क्षेत्र आमला एवं बैतूल के दो आदिवासी ग्रामीणों ने छह माह पूर्व से अपनी नाबालिग लड़कियों के अपहरण और उन्हें बेचने की शंका जाहिर करते हुए शपथ पत्र के साथ एसपी बैतूल को शिकायत की है. जिसमें उन्होंने स्थानीय एक आदमी और महिला के अलावा गुजरात के एक ठेकेदार पर शक जाहिर किया है. रंगलाल पुत्र सोमजी निवासी बघवाड़ थाना आमला और फूलेसिंह पुत्र मंगू निवासी कनारा थाना बैतूल ने एसपी को एक आवेदन देकर अपनी पुत्रियों इमरती उर्फ झब्बो आयु 15 वर्ष एवं सरस्वती आयु 13 वर्ष को मजदूरी करने के बहाने पाठा डेम  (गुजरात) ले जाने के बहाने उसके तथाकथित अपहरण करने की आशंका व्यक्त करते हुए एक शिकायत पत्र पुलिस अधिक्षक को शपथपत्र के साथ दिया है. शपथ पत्र के अनुसार गुजरात के किसी शर्मा ठेकेदार द्वारा वहां बन रहे पाठा डेम पर मजदूरी करने के नाम पर बघवाड़ से गुजरात ले जाई गई दो नाबालिग आदिवासी युवतियां संदिग्ध अवस्था में गायब हो गई है. जिसको लेकर उनके परिजनों ने जिला पुलिस अधीक्षक को आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की है. प्राप्त जानकारी अनुसार थाना आमला के ग्राम बघवाड़ निवासी रंगलाल पिता सोमजी गोंड (45) एवं उसकी धर्मपत्नि बिस्सोबाई तथा थाना बैतूल के ग्राम कनारा निवासी फूलेसिंह पिता मंगू गायकी (35) तथा उसकी पत्नि असंतीबाई ने पुलिस अधीक्षक को शिकायत की कि ग्राम कनारा पिपलाढाना निवासी तिलक पिता जंगली शिवकली एवं गुजरात का कोई ठेकेदार शर्मा विगत दिनों सितंबर माह में गांव आया था और यहां से 60 रूपए प्रतिदिन मजदूरी देने के नाम पर कई नौजवान युवक युवतियों सहित इनका पुत्री इमरती उर्फ झब्बो (15) तथा सरस्वती (13) को भी ले गया. गत्ï सप्ताह में गांव की ही सगंती पत्नि गंगाराम जो इन्हीं के साथ काम पर गई थी. वापस आई उसने बताया कि इमरती और सरस्वती काम पर से लापता है. इस बारे में जब इन्हें गुजरात काम पर ले जानी वाली शिवकली एवं ठेकेदार शर्मा से पूछताछ की तो उन्होंने दोनों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी. अब एसपी को शिकायत करने आये दोनों परिवार वालों को शंका है कि तिलक शिवरती एवं शर्मा ठेकेदार ने दोनों नासमझ लड़कियों को कहीं बेच दिया है अथवा उनकी जान ले ली है. ग्राम बघवाड़ एवं कनारा के दोनों आदिवासी परिवारों ने संयुक्त रूप से एस .पी . विवेक शर्मा को दिए एक आवेदन में कार्रवाई करने की मांग की है. इस पत्र के अनुसार गणेश चतुर्थी के समय गुजरात का ठेकेदार शर्मा पाठा डेम  पर काम कराने के लिए मजदूर लेने गांव आया था. तथा गांव के बहुत सारे लड़के-लड़कियों को ले गया. चूंकि बहुत सारे लोग गए थे. इसलिए ये  दोनों भी अपनी लड़कियों को भेजकर निश्चिंत थे. आज से 8 दिन पहले इन्हीं के गांव की सगन्ती ने काम से लौटकर आकर बताया कि इमरती और सरस्वती वहां बांध स्थल पर नहीं है? उक्त खबर सुनने के बाद से दोनो युवतियों के माता- पिता काफी हैरान एवं परेशान है. इन लोगो ने अपने स्तर पर अपनी बेटी की खोज खबर ली पर जब कुछ भी पता नही चला तो दोनो शिकायतकर्ताओं ने गांव की ही शिवकली बाई नामक उक्त महिला से पूछताछ की, जिसने इन लड़कियों की जवाबदारी ली थी. उसके द्घारा बताई गई जानकारी के आधार पर दोनो युवतियों के परिजन गुजरात स्थित पुनासा बांध गए, लेकिन उन्हे उनकी बेटियाँ नही मिली और ना उनका कोई पता लगा. हताश -लाचार उक्त युवतियों के परिजन ने बैतूल आकर पुलिस का दरवाजा खटखटाया.
    इन शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि उनकी नाबालिग लड़कियों को शर्मा ठेकेदार ने कहीं बेच दिया है ? या इनके साथ कुछ गलत काम करके उन्हें मार डाला होगा ?  उल्लेखनीय है कि बैतूल जिले से हर वर्ष हजारों युवा मजदूरों का पलायन होता है जो दूसरे जिलों में फसलें काटने जाते है या बांधों पर मजदूरी करने जाते हैं. पूर्व में भी कई ऐसी घटनाएं हुई हैं कि कुछ लड़कियां लौटी ही नहीं है. इन्हें बड़े शहरों में बेचने के किस्से भी हुए है. काम का लोभ लालच देकर अकेले बैतूल जिले में ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण मध्यप्रदेश के दर्जनो आदिवासी जिलो से कमसीन नाबालिग युवतियों की खरीदी- बिक्री का अंतहीन सिलसिला इन पंक्तियो के लिखे जाने तक जारी है . जारी है. महाकौशल और सतपुड़ाचंल से दो दर्जन से भी अधिक युवतियों  के उनके तथाकथित कार्यस्थल से लापता होने तथा बाद में उनके बेचे जाने की शिकवा शिकायते  सुने बरसो बीत गए लेकिन पुलिस नहीं जागी जो भी लड़की दलालो के चुंगल से भाग कर आई है उन्होने अपनी जान को जोखिम में डाल कर उक्त साहस किया है. इतना सब कुछ होने के बाद भी आज भी बैतूल जिले की सैकड़ो आदिवासी तथा गैर आदिवासी युवतियाँ ठेकेदारों के पास काम करने के लिए जाती है. अकसर सुनने को मिलता रहता है कि ऐसी कई युवतियों का ठेकेदार और उसके सुपरवाइजर शारीरिक , आर्थिक , मानसिक शोषण करते रहते है. बैतूल जिले मेें ऐसी घटनाए आम होती चली जा रही है. हाल ही में बैतूल जिले की दो विधानसभा क्षेत्र आमला एवं बैतूल के दो आदिवासी ग्रामीणों ने छह माह पूर्व से अपनी नाबालिग लड़कियों के अपहरण और उन्हें बेचने की शंका जाहिर करते हुए शपथ पत्र के साथ एसपी बैतूल को शिकायत की है. जिसमें उन्होंने स्थानीय एक आदमी और महिला के अलावा गुजरात के एक ठेकेदार पर शक जाहिर किया है. रंगलाल पुत्र सोमजी निवासी बघवाड़ थाना आमला और फूलेसिंह पुत्र मंगू निवासी कनारा थाना बैतूल ने एसपी को एक आवेदन देकर अपनी पुत्रियों इमरती उर्फ झब्बो आयु 15 वर्ष एवं सरस्वती आयु 13 वर्ष को मजदूरी करने के बहाने पाठा डेम  (गुजरात) ले जाने के बहाने उसके तथाकथित अपहरण करने की आशंका व्यक्त करते हुए एक शिकायत पत्र पुलिस अधिक्षक को शपथपत्र के साथ दिया है. शपथ पत्र के अनुसार गुजरात के किसी शर्मा ठेकेदार द्वारा वहां बन रहे पाठा डेम पर मजदूरी करने के नाम पर बघवाड़ से गुजरात ले जाई गई दो नाबालिग आदिवासी युवतियां संदिग्ध अवस्था में गायब हो गई है. जिसको लेकर उनके परिजनों ने जिला पुलिस अधीक्षक को आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की है. प्राप्त जानकारी अनुसार थाना आमला के ग्राम बघवाड़ निवासी रंगलाल पिता सोमजी गोंड (45) एवं उसकी धर्मपत्नि बिस्सोबाई तथा थाना बैतूल के ग्राम कनारा निवासी फूलेसिंह पिता मंगू गायकी (35) तथा उसकी पत्नि असंतीबाई ने पुलिस अधीक्षक को शिकायत की कि ग्राम कनारा पिपलाढाना निवासी तिलक पिता जंगली शिवकली एवं गुजरात का कोई ठेकेदार शर्मा विगत दिनों सितंबर माह में गांव आया था और यहां से 60 रूपए प्रतिदिन मजदूरी देने के नाम पर कई नौजवान युवक युवतियों सहित इनका पुत्री इमरती उर्फ झब्बो (15) तथा सरस्वती (13) तथा अनिता को भी ले गया. गत्ï सप्ताह में गांव की ही सगंती पत्नि गगाराम जो इन्हीं के साथ काम पर गई थी. वापस आई उसने बताया कि इमरती और सरस्वती काम पर से लापता है. इस बारे में जब इन्हें गुजरात काम पर ले जानी वाली शिवकली एवं ठेकेदार शर्मा से पूछताछ की तो उन्होंने दोनों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी. अब एस .पी को शिकायत करने आये दोनों परिवार वालों को शंका है कि तिलक शिवरती एवं शर्मा ठेकेदार ने दोनों ना समझ लड़कियों को कहीं बेच दिया है अथवा उनकी जान ले ली है. ग्राम बघवाड़ एवं कनारा के दोनों आदिवासी परिवारों ने संयुक्त रूप से तत्कालिन एस .पी . विवेक शर्मा को दिए एक आवेदन में कार्रवाई करने की मांग की है . इस पत्र के अनुसार गणेश चतुर्थी के समय गुजरात का ठेकेदार शर्मा पाठा डेम  पर काम कराने के लिए मजदूर लेने गांव आया था. तथा गांव के बहुत सारे लड़के-लड़कियों को ले गया.चूंकि बहुत सारे लोग गए थे. इसलिए ये  दोनों भी अपनी लड़कियों को भेजकर निश्चिंत थे. आज से 8 दिन पहले इन्हीं के गांव की सगन्ती ने काम से लौटकर आकर बताया कि इमरती और सरस्वती वहां बांध स्थल पर नहीं है? उक्त खबर सुनने के बाद से दोनो युवतियों के माता- पिता काफी हैरान एवं परेशान है. इन लोगो ने अपने स्तर पर अपनी बेटी की खोज खबर ली पर जब कुछ भी पता नही चला तो दोनो शिकायतकर्ताओं ने गांव की ही शिवकली बाई नामक उक्त महिला से पूछताछ की, जिसने इन लड़कियों की जवाबदारी ली थी. उसके द्घारा बताई गई जानकारी के आधार पर दोनो युवतियों के परिजन गुजरात स्थित पुनासा बांध गए, लेकिन उन्हे उनकी बेटियाँ नही मिली और ना उनका कोई पता लगा. हताश -लाचार उक्त युवतियों के परिजन ने बैतूल आकर पुलिस का दरवाजा खटखटाया . इन शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि उनकी नाबालिग लड़कियों को शर्मा ठेकेदार ने कहीं बेच दिया है ? या इनके साथ कुछ गलत काम करके उन्हें मार डाला होगा ? पूर्व जनपद सदस्य बिस्सो बाई के अथक प्रयासो से आखिर पुलिस कुछ दबाव में आई और उसने सबसे पहले अनिता को उन लोगो के  चुंगल से मुक्त करवाया जो कि उसका अब तक दैहिक एवं आर्थिक तथा अन्य शोषण कर रहे थे . काम के बहाने अनिता जैसी कई युवतियाँ जिसमें इमरती और सरस्वती भी शामिल है उनको खोज पाने में पुलिस आज तक अक्षम साबित रही है. उल्लेखनीय है कि बैतूल जिले से हर वर्ष हजारों युवा मजदूरों का पलायन होता है जो दूसरे जिलों में फसलें काटने जाते है या बांधों पर मजदूरी करने जाते हैं. पूर्व में भी कई ऐसी घटनाएं हुई हैं कि कुछ लड़कियां लौटी ही नहीं है. इन्हें बड़े शहरों में बेचने के किस्से भी हुए है
    स्टाम्प पेपर पर बिकी नाबालिग युवती
एक नाबालिग लड़की को बैतूल से देवास ले जाकर बेचने के सनसनीखेज मामले में बैतूल पुलिस ने एक महिला सहित पांच आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है . इनमें तीन आरोपी लड़की को खरीदने वाले और दो बेचने वाले है .लड़की को बेचने वालों में एक महिला भी शामिल है .बेचे जाने के मामले में लड़की द्वारा पूर्व में अपने माता-पिता को दोषी बताने की शिकायत को बाद में लड़की ने खुद झूठा बताया और कहा कि माता पिता से नफरत होने के कारण उनका भी नाम रिपोर्ट में लिखा दिया था .बैतूल जिले के संवेदनशील एसपी विवेक शर्मा के मार्गदर्शन में शाहपुर थाना प्रभारी उपनिरीक्षक मोहनसिंग सिंगोरे ने 48 घंटे में बैतूल से मुलताई देवास तक मामले की तहकीकात करके पांच आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है . घटनाक्रम का सबसे गंभीर पहलू यह है कि नाबालिग लड़की को खरीदने वाले आरोपियों ने बकायदा 100 रूपये के स्टाम्प पेपर पर खरीदी-बिक्री का अनुबंध करवाकर रखा था . जिसे पुलिस ने जप्त कर लिया है . बेचने के आरोप में गिरफ्तार बैतूल जिले के बडग़ांव निवासी नथियाबाई ने बेचने की बात स्वीकार करते हुए  बताया कि-वहीं लड़की को खरीदने वाले देवास निवासी संतोष ने कहा कि लिखा पढ़ी इसलिए की ताकि लड़की भागे नहीं .उसने कहा कि हमने लड़की को शादी करके घर में रखा था .वहीं समूचे घटनाक्रम में सक्रियता से कार्य करने वाले शाहपुर थाना प्रभारी मोहन सिंगोरे ने बताया कि नाबालिग अनामिका को बेचने के पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, शेष बचे आरोपियों को तलाशा जा रहा है .वहीं दूसरी ओर मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक विवेक शर्मा का मानना है कि मामला इतना ही नहीं माना जा सकता .उन्होंने कहा कि यह जांच भी कराई जाएगी कि क्या आरोपियों ने बैतूल जिले की और भी लड़कियों को बेचा है . देखना यह है कि नाबालिग लड़कियों की खरीद फरोख्त के मामले में और कितनी लड़कियों को बेचे जाने का खुलासा हो पाता है .
                बीते वर्ष 21 जनवरी 2003 को जब इटारसी रेल्वे स्टेशन पर पेंचव्हली एक्सप्रेस से आमला आ रहे रामप्रसाद ने 'ज्योत्सना सिस्टरÓ के साथ एक तीखे नाक नक्श वाली लड़की को देखा तो उसके कदम बरबस ज्योत्सना की ओर चल पड़े। पास आने पर ज्योत्सना से रामप्रसाद ने पूछा अरी सिस्टर आप कहां जा रही हो? और ये कौन है आपके साथ? पास खड़ी लड़की के बारे में उसने पूछा .ज्योत्सना बोली-अरे आपने इसे नहीं पहचाना यही तो आपकी भांजी रानी (काल्पनिक नाम) है, जो मेरे साथ आपके गांव में रहती थी .रामप्रसाद को याद आ गया बीता हुआ कल और फिर उसने रानी को पाने के लिए जो कहानी रची, उसी का परिणाम यह निकला कि शाहपुर पुलिस ने रानी जानसन आत्मज अजय जानसन उम्र 15 वर्ष की शिकायत पर आरोपी रामप्रसाद उम्र 25 वर्ष, सरवन आत्मज भैरूलाल 25 वर्ष, बाबूलाल (23), संतोष (25 वर्ष) निवासी फोफल्या देवास के विरूद्ध बलात्कार तथा श्रीमती नथिया बाई जौजे साबूलाल उम्र 40 वर्ष निवासी बडग़ांव, किशोर छगन आत्मज धन्नालाल के विरूद्ध 372, 373, 376, 34 का प्रकरण दर्ज कर पांच आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की है .
     इस प्रकरण का प्रमुख आरोपी रामप्रसाद ने आज से करीब एक वर्ष पूर्व इटारसी रेल्वे स्टेशन से शुरू होती है . ज्योत्सना जानसन ग्राम खल्ला में रामप्रसाद के मकान में रहती थी .ज्योत्सना इस गांव में नर्स थी, जिसकी वजह से लोग उसे सिस्टर कहकर पुकारते थे. रामप्रसाद भी ज्योत्सना को अपनी तथाकथित मुंहबोली बहन कहा करता था .जब ज्योत्सना ग्राम खल्ला में रहती थी उस समय रानी की उम्र पांच-छह साल की थी . इस बीच मुलताई से आमला तबादला हो जाने के कारण ज्योत्सना जानसन आमला आकर रहने लगी . इस बीच बीमार रहने के कारण अजय जानसन की अकाल मौत हो गई .पति के मरने के बाद ज्योत्सना जानसन ने मंडला निवासी रज्जाक से शादी कर ली और वह उसकी पत्नी बनकर उसके साथ रहने लगी . इस बीच रानी ने बचपन से जवानी की दहलीज में पांव रखा और यही से उसकी बर्बादी की कहानी ने नया रूप ले लिया .
दिल्ली ले जाते दलाल पकड़ाये
महाकौशल के जबलपुर जिले के भुवा बिद्दिया क्षेत्र की भोली-भाली आदिवासी लड़कियों को दिल्ली में बेचने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है. देह दलाल 18 लड़कियों को बेच चुके थे. 20 लड़कियों की दूसरी खेप ले जाते समय एसएएफ के एक सेवानिवृत्त सेनानी श्री भोला पोर्ते की पहल पर पकड़े गए. जबलपुर से सिर्फ सौ किलोमीटर दूर भुवा बिद्दिया के वनवासी आजादी के 58 वर्ष बाद भी नारकीय स्थिति में जीवन-यापन कर रहे हैं. उनकी इस स्थिति का लाभ दलाल लोग उठा रहे हैं. इन लड़कियों को नौकरी दिलाने का प्रलोभन देकर देह व्यापार में लगाने का षडय़ंत्र चल रहा है. नरहरगंज भुवा बिद्दिया के घने वनांचलों में स्थित दो सौ आदिवासी घरों की एक गुमसुम और गुमनाम-सी बस्ती है. इस पतित धंधे में लिप्त चार व्यक्तियों को मोतीताला पुलिस के हवाले किया गया, जहां मुक्त कराई गई लड़कियों को कड़ी सुरक्षा में रखा गया है. हिरासत शुदा व्यक्तियों में दो महिलाएं, बीस वर्षीय मुक्ता तथा पैंतीस साल की बिनिया और भूरा तथा एक शासकीय शिक्षक श्रीराम अहिरवार शामिल हैं. ये चारों धंधेबाज पंद्रह से अठारह वर्ष उम्र की बीस लड़कियों को जंगल के अलग-अलग रास्तों से पैदल काटीगहन मोटर मार्ग तक ला रहे थे, जहां से उन्हें दिल्ली ले जाया जाना था. दिल्ली में उन लड़कियों के सौदागर पहले ही भुवा बिद्दिया क्षेत्र की करीब अठारह लड़कियों को बेच चुके थे. ये बीस लड़कियां अगली खेप में बेची जानी थीं. आरोपियों ने इन अभागी लड़कियों को प्रलोभन दिया था कि दिल्ली में उनको बढिय़ा नौकरी दिलाई जाएगी जिससे वे अपने परिवार की गरीबी दूर कर सकने में मददगार साबित होगी. चूंकि अपहृत युवतियों में से अधिकांश के अभिभावक पेशे से मजदूर और लकड़हारे हैं अथवा महुआ बीनकर अपनी जिंदगी की गाड़ी आगे खींचते हैं, लिहाजा निर्धनता से मुक्ति पाने और हाथ में चार पैसे आने के प्रलोभवन ने नर्मदा नदी के किनारे बसे वनांचलों की इन दुर्भाग्यग्रस्त बेटियों को दिल्ली में नई रोशनी और नई जिंदगी की चमक नजर आई और वे जिस्म के इन दलालों के झांसे में आ गई. पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ इन युवतियों के अपहरण का मामला दर्ज किया है. अपहृत युवतियों को उनके अभिभावकों के हवाले कर दिया है. भुवा बिद्दिया और डिंडोरी के वनांचल आदिवासी विकास के नाम पर सरकारी विभागों में चल रहे शोचनीय भ्रष्टïाचार का शर्मनाक आईना बन चुके है. श्री कमलनाथ के संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा की दशा तो कदाचित सर्वाधिक बदतर है, जहां जमीन के नीचे बारह सौ फुट की गहराई में बसे पातालकोट में अनाज के अभाव में वहां के बाशिंदे जिंदा बंदरों और बैलों को मारकर अपनी भूख बुझा रहे हैं. पातालकोट और कुंडम जैसे दुर्गम स्थलों के वनवासी इन दिनों जबलपुर में रिक्शा चलाकर अपना पेट भर रहे हैं. यहाँ यह उल्लेखनीय है कि बैतूल सहित प्रदेश के अन्य जिलों से भी हर वर्ष हजारों युवा मजदूरों का पलायन होता है जो दूसरे जिलों में फसलें काटने जाते है या बांधों पर मजदूरी करने जाते हैं. पूर्व में भी कई ऐसी घटनाएं हुई हैं कि कुछ लड़कियां लौटी ही नहीं है. इन्हें बड़े शहरों में बेचने के किस्से भी हुए है.ये बीस लड़कियां अगली खेप में बेची जानी थीं. आरोपियों ने इन अभागी लड़कियों को प्रलोभन दिया था कि दिल्ली में उनको बढिय़ा नौकरी दिलाई जाएगी जिससे वे अपने परिवार की गरीबी दूर कर सकने में मददगार साबित होगी. चूंकि अपहृत युवतियों में से अधिकांश के अभिभावक पेशे से मजदूर और लकड़हारे हैं अथवा महुआ बीनकर अपनी जिंदगी की गाड़ी आगे खींचते हैं, लिहाजा निर्धनता से मुक्ति पाने और हाथ में चार पैसे आने के प्रलोभन ने नर्मदा नदी के किनारे बसे वनांचलों की इन दुर्भाग्यग्रस्त बेटियों को दिल्ली में नई रोशनी और नई जिंदगी की चमक नजर आई और वे जिस्म के इन दलालों के झांसे में आ गई. पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ इन युवतियों के अपहरण का मामला दर्ज किया है.
गांव की शादीशुदा महिलाये भी नही बच रही दलालो से
आपको सुन कर बड़ा ही आश्चर्य लगेगा कि बैतूल जिले की आदिवासी युवतियो के बेचे जाने के मामलो में हाल ही की एक घटना ने सनसनी पैदा कर दी। बैतूल जिले में सक्रिय महिलाओं और नवयुवतियो के दलालो के हाथो जब युवतियां नही चढ़ी तो उन्होने ने एक शादीशुदा महिला को ही चालिस हजार रूपये में बेच डाला। बैतूल जिले की मुलताई तहसील के बोरदेही थानांतगर्त ग्राम तरोड़ा बुर्जग की विवाहित महिला श्रीमति रामकला बाई को पास के सोनेगांव के दो युवक उसे मां की बीमारी का बहाना बना कर ग्वालियर ले गये जहां पर उन युवको ने हरियाणा की महिला को उसे चालिस हजार बेच दिया। बबलू पिता गुलाब महाराजे निवासी ग्राम सोनेगांव तथा तरोड़ा ग्राम निवासी अनिल पिता अनिल राव ने झुठी खबर देकर उसे बबलू की बहन जो कि ग्वालियर रहती है वहां ले जाकर उसे दो महिलाओं को बेच दिया जो उसे हरियाणा में किसी ठाकुर को बेच आई थी। हरियाणा से किसी तरह बच निकली इस महिला ने बैतूल पहँुचने पर अपनी आपबीती पुलिस को सुनाई जिस पर पुलिस ने फिलाहल मामला दर्ज न करते हुये उसे जांच में शामिल कर लिया है।
दहेज लाओ...दुल्हन ले जाओ!
 दहेज के नाम पर कन्या पक्ष का आर्थिक शोषण करने की कुप्रथा भले ही शहरी संस्कृति में पनप रही हो, मगर बैतूल जिले में सतपुड़ा पर्वत के घने जंगलों में निवास करने वाली कोरकू आदिवासी जनजाति ने साबित कर दिया कि अभी वे इतने लाचार, मजबूर और भिखमंगे नहीं हुए कि कन्यापक्ष को दहेज के नाम पर गीले कपड़े की तरह निचोड़ डालें. कोरकू आदिवासी जनजाति में लड़का तो एक तयशुदा रकम ससुर के हाथ में रखता है तब उसकी बेटी से शादी करता है. यह रकम बाद में लड़की को दे दी जाती है. बैतूल जिले का जोडिय़ा गांव सतपुड़ा  पर्वत की श्रृंखलाओ में घने जंगलों के बीच बसा हुआ है. शहरी संस्कृति यहां भले ही पहुंच नहीं पायी मगर यहां  के कई युवा रोजगार की तलाश में शहरों में पहुंच गये हैं. 25 वर्षीय शिबू और बीस वर्षीया डाली, ऐसे ही नवदम्पत्ति हैं जो साथ साथ रहते हुए मेहनत मजदूरी तो कर रहे है मगर इनकी शादी को भी अभी तक समाज से वैधता नहीं मिली हैं, क्योंकि शिबू को अपने ससुर के पास 20 हजार रूपए जमा करना है. इसके पश्चात ही उसकी शादी को हरी झंडी मिलेगी. शिबू अपने दर्जनभर साथियों के साथ दिल्ली में पिछले तीन माह से पैसा कमाने आया हुआ है. दोनों दिल्ली में कहीं भवन निर्माण के काम में मजदूरी कर रहे हैं. शिबू और डाली पिछले छह माह से पति-पत्नि के रूप में रह रहे हैं मगर समाज ने उनकी शादी को अभी तक मान्यता नहीं दी है. शिबू इस बात से बेहद खुश है कि अभी तक वह 16 हजार रू. अपने ससुर को सौंप चुका है. अब उसे केवल 4 हजार रू. अदा करने है. कोरकू आदिवासी समाज को इस उपलब्धि पर गर्व है कि अभी तक उनके समाज में बहू को दहेज के लिए जिंदा नहीं जलाया गया. किसी की लाड़ली बेटी को घर लाकर उसकी हत्या नहीं की. इसके विपरीत दूल्हा बनने वाला लड़का ससुर को रकम कमाकर पहले यह दिखा देता है कि वह अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है. साथ ही उसकी बेटी (अपनी पत्नि) का पालन पोषण करने में भी सक्षम है. इस प्रथा को कोरकू आदिवासी लोग 'लमझियानाÓ कहते हैं. इस प्रथा के अनुसार लड़का व लड़की शादी के लिए तैयार होने के बावजूद लड़के को विवाह किए बिना दामाद के रूप में ससुर के घर रहना पड़ता है. इस दौरान वह तयशुदा रकम अपने ससुर को कमाकर देता है. इस कमाई में लड़की भी लड़के का साथ देती है. यह रकम अदा करते ही दोनों की विधिवत रूप से शादी कराकर बिदाई दी जाती है. इस रकम को लड़की का पिता अपने पास ही रखता है. जरूरत पडऩे पर पिता बाद में इस पैसे को अपनी बेटी को लौटा भी देता ह

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